अगर आप नौकरीपेशा हैं तो अभी तक नियोक्ता
की ओर से फॉर्म-16 मिलना शुरू हो गया होगा। आमतौर पर रिटर्न भरते समय आप फॉर्म-16 में शामिल हाउस रेंट
अलाउंस (एचआरए) की रकम पर टैक्स छूट का दावा करते हैं, लेकिन अगर आपकी
कंपनी एचआरए के रूप में भुगतान नहीं करती और आप किराये के मकान में रहते हैं तो
आयकर कानून की धारा-80 जीजी के तहत किराये पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। आप
वेतनभोगी नहीं हैं तो भी इस कानून का लाभ उठा सकते हैं।
क्या कहता है आयकर कानून
अगर आप पेशेवर हैं और किसी शहर में किराये के मकान में रहते हैं तो आयकर कानून आपको रिटर्न दाखिल करते समय धारा-80 जीजी के तहत चुकाए गए मकान किराये पर टैक्स छूट का दावा करने की अनुमति देता है। इसी तरह, अगर आप वेतनभोगी हैं लेकिन आपकी कंपनी एचआरए का भुगतान नहीं करती है तो भी आप इस कानून के तहत टैक्स छूट का लाभ उछा सकते हैं। कुल मिलाकर आयकरदाता अगर किराये के मकान में रहता है तो वह धारा-10(13ए) के तहत या तो एचआरए पर क्लेम कर सकता है या 80 जीजी के तहत मकान किराये पर।
कितनी राशि पर कर सकते हैं दावा
आयकर कानून की धारा-80 जीजी के तहत रिटर्न में दावा करते समय इसमें आने वाली राशि को जानना बहुत जरूरी है। यह किराया आयकरदाता की समायोजित आय का 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए, अथवा कुल आय का 25 फीसदी से ज्यादा न हो या अधिकतम पांच हजार रुपये महीना हो। इनमें से जो भी राशि सबसे कम होगी उस पर रिटर्न में दावा कर सकते हैं। इस आय में एलटीजीसी या एसटीजीसी से मिली आय शामिल नहीं है। सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 से धारा-80 जीजी के तहत क्लेम की राशि को बढ़ाकर पांच हजार रुपये महीना कर दिया है। पहले यह राशि सिर्फ दो हजार रुपये महीना थी।
05 हजार रुपये महीने पर ही कर सकते हैं टैक्स छूट का दावा इस कानून के तहत
ऐसे करें छूट के लिए क्लेम
अगर आप धारा-80 जीजी की पात्रता के सभी मानकों को पूरा करते हैं तो फॉर्म-10बीए में किराये के रूप में चुकाई गई रकम का उल्लेख करेंगे। आईटीआर भरते समय दावे के लिए कोई दस्तावेज नहीं लगेगा लेकिन आयकर अधिकारी के मांगने पर आपको रेंट एग्रीमेंट या किराये की रशीद देनी पड सकती है। आप किराये का भुगतान ऑनलाइन करते हैं तो बैंक स्टेटमेंट भी लगा सकते हैं। आपको किराये का उल्लेख महीनेवार करना होगा और अगर किसी महीने का एचआरए लिया है तो उस महीने के लिए इसके तहत दावा नहीं किया जा सकता।
31 जुलाई है आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि
ये मानक पूरे करना जरूरी
अगर आप पेशेवर हैं और किसी शहर में किराये के मकान में रहते हैं तो आयकर कानून आपको रिटर्न दाखिल करते समय धारा-80 जीजी के तहत चुकाए गए मकान किराये पर टैक्स छूट का दावा करने की अनुमति देता है। इसी तरह, अगर आप वेतनभोगी हैं लेकिन आपकी कंपनी एचआरए का भुगतान नहीं करती है तो भी आप इस कानून के तहत टैक्स छूट का लाभ उछा सकते हैं। कुल मिलाकर आयकरदाता अगर किराये के मकान में रहता है तो वह धारा-10(13ए) के तहत या तो एचआरए पर क्लेम कर सकता है या 80 जीजी के तहत मकान किराये पर।
कितनी राशि पर कर सकते हैं दावा
आयकर कानून की धारा-80 जीजी के तहत रिटर्न में दावा करते समय इसमें आने वाली राशि को जानना बहुत जरूरी है। यह किराया आयकरदाता की समायोजित आय का 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए, अथवा कुल आय का 25 फीसदी से ज्यादा न हो या अधिकतम पांच हजार रुपये महीना हो। इनमें से जो भी राशि सबसे कम होगी उस पर रिटर्न में दावा कर सकते हैं। इस आय में एलटीजीसी या एसटीजीसी से मिली आय शामिल नहीं है। सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 से धारा-80 जीजी के तहत क्लेम की राशि को बढ़ाकर पांच हजार रुपये महीना कर दिया है। पहले यह राशि सिर्फ दो हजार रुपये महीना थी।
05 हजार रुपये महीने पर ही कर सकते हैं टैक्स छूट का दावा इस कानून के तहत
ऐसे करें छूट के लिए क्लेम
अगर आप धारा-80 जीजी की पात्रता के सभी मानकों को पूरा करते हैं तो फॉर्म-10बीए में किराये के रूप में चुकाई गई रकम का उल्लेख करेंगे। आईटीआर भरते समय दावे के लिए कोई दस्तावेज नहीं लगेगा लेकिन आयकर अधिकारी के मांगने पर आपको रेंट एग्रीमेंट या किराये की रशीद देनी पड सकती है। आप किराये का भुगतान ऑनलाइन करते हैं तो बैंक स्टेटमेंट भी लगा सकते हैं। आपको किराये का उल्लेख महीनेवार करना होगा और अगर किसी महीने का एचआरए लिया है तो उस महीने के लिए इसके तहत दावा नहीं किया जा सकता।
31 जुलाई है आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि
ये मानक पूरे करना जरूरी
- जिस शहर में आयकरदाता किराये के मकान में रहता है, वहां उसके या उसकी पत्नी अथवा बच्चे के पास कोई मकान नहीं होना चाहिए।
- जिस अवधि के लिए आप धारा-80 जीजी में दावा कर रहे हैं, उसमें आपने किसी भी तरह का एचआरए नहीं लिया हो।
- अगर आपके पास किसी और शहर में मकान है, लेकिन आपने उसे किराये पर नहीं दिया तो आप इस कानून के तहत टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकेंगे।
आयकरदाताओं को कानून की इस धारा को लेकर जागरूक होना चाहिए। आप नौकरीपेशा हैं या खुद का कारोबार करते हैं तो मकान किराये पर कर में छूट का दावा कर सकते हैं । इसके तहत आपको पांच हजार रुपये महीने के अधिकतम किराये पर क्लेम करने की अनुमति होगी।