केंद्रीय
प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्त वर्ष 2018-19
के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म को एक अप्रैल, 2019 को अधिसूचित कर
दिया। हालांकि, टैक्स रिटर्न फॉर्म में पिछले साल की अपेक्षा कोई खास बदलाव नहीं हुआ है (आईटीआर फॉर्म 1, 2, 3 एवं 4 भरने वाले करदाताओं की श्रेणी के संबंध में फॉर्म में कोई बुनियादी बदलाव
नहीं), लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 का आयकर रिटर्न
भरने के लिए सही फॉर्म का चयन करते वक्त कुछ बिंदुओं पर विचार करना होगा।
टैक्स रिटर्न फॉर्म आईटीआर-2 तथा आईटीआर-3 भरने के लिए सीबीडीटी द्वारा पिछले सप्ताह जारी निर्देश करदाताओं को टैक्स
रिटर्न फॉर्म में सही जानकारी भरने में सहूलियत प्रदान करेंगे। करदाताओं को सही
रिटर्न फॉर्म का चयन करने में मदद करने के लिए ऐप्लिकेबल टैक्स रिटर्न फॉर्म का
संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।
आईटीआर
फॉर्म नंबर
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टाइप ऑफ
टैक्सपेयर
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रेसिडेंशियल
स्टेटस
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टाइप ऑफ
इनकम
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आईटीआर-1 (सहज)
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इंडिविजुअल्स*
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रेसिडेंशियल
एवं ऑर्डिनरी रेसिडेंट (आरओआर)
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सैलरी से
आय, वन हाउस प्रॉपर्टी, अन्य
स्रोत (इंट्रेस्ट इत्यादि)। कुल आय 50 लाख रुपये
से अधिक नहीं होनी चाहिए।
|
आईटीआर-2
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इंडिविजुअल्स
एवं एचयूएफ
|
1. नॉन रेसिडेंशियल (एनआर), 2.रेसिडेंस
बट नॉट ऑर्डिनर्ली रेसिडेंट (आरएनओआर), 3. आरओआर
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सैलरी से
आय, एक से अधिक हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल
गेंस और अन्य स्रोतों से आय
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आईटीआर-3
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इंडिविजुअल्स
एवं एचयूएफ
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1.एनआर, 2.आरएनओआर, 3.आरओआर
|
सैलरी से
आय, हाउस प्रॉपर्टी, बिजनस या
पेशे से आय, कैपिटल गेंस एवं अन्य स्रोतों से आय
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आईटीआर-4 (सुगम)
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इंडिविजुअल्स*, एचयूएफ एवं कंपनियां (एलएलपी को छोड़कर)
|
आरओआर
|
सैलरी से
आय, वन हाउस प्रॉपर्टी, अन्य
स्रोत, बिजनस या पेशे से सेक्शन 44एडी, 44एडीए तथा 44एई के तहत
कैलकुलेटेड आय, कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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*किसी कंपनी में निदेशक या किसी कंपनी की गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयर में निवेश रखने वाले व्यक्ति आईटीआर-1 और आईटीआर-4 भरने के पात्र नहीं हैं।
रेसिडेंशियल
स्टेटस, सोर्स एवं आय के आधार
पर सही रिटर्न फॉर्म का चयन एवं फाइलिंग जरूरी है, क्योंकि सही टैक्स फॉर्म का चयन न करने से
इनकम टैक्स रिटर्न डिफेक्टिव हो सकता है।
नीचे चेकबॉक्स के आधार पर आप वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने के लिए अपने लिए सही फॉर्म का चयन कर सकते हैं।
नीचे चेकबॉक्स के आधार पर आप वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने के लिए अपने लिए सही फॉर्म का चयन कर सकते हैं।
आईटीआर फॉर्म में हुए कुछ जरूरी बदलावों से हम आपको नीचे अवगत
करा रहे हैं।
1. इनकम टैक्स रिटर्न
में बताई गई सैलरी को कर्मचारी के फॉर्म 16
में मौजूद सैलरी के तर्कसंगत बना दिया गया है।
2. किसी कंपनी में निदेशक या किसी कंपनी के गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश करने वाले करदाता टैक्स रिटर्न फॉर्म आईटीआर-1 एवं आईटीआर-2 भरने के पात्र नहीं हैं। पिछले साल तक इस तरह की पाबंदी नहीं थी। इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी में निदेशक है तो उसे आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में कंपनी से जुड़े कुछ विवरणों को भरना जरूरी है।
3. गैर-सूचीबद्ध शेयरों से निवेश से जुड़ी जानकारियों को आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में साझा करना होगा।
4. आवास के सही-सही निर्धारण के लिए भारत में बिताए गए दिनों के बारे में रिटर्न फॉर्म आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में जानकारी देनी होगी।
5. इक्विटी शेयर या इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड की बिक्री से मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) की जानकारी देने के लिए आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में अलग कॉलम दिया गया है।
6. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80जीजीए के तहत साइंटिफिक रिसर्च या रूरल डेवलपमेंट के मद में किए गए डोनेशन की जानकारी देने के लिए रिटर्न फॉर्म आईटीआर-1 एवं आईटीआर-2 में अलग-अलग जगह का प्रावधान किया गया है।
7. डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस अग्रीमेंट (डीटीएए) के तहत इनकम टैक्स छूट के दावे की जानकारी के लिए रिटर्न फॉर्म आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में अलग कॉलम दिया गया है।
2. किसी कंपनी में निदेशक या किसी कंपनी के गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश करने वाले करदाता टैक्स रिटर्न फॉर्म आईटीआर-1 एवं आईटीआर-2 भरने के पात्र नहीं हैं। पिछले साल तक इस तरह की पाबंदी नहीं थी। इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी में निदेशक है तो उसे आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में कंपनी से जुड़े कुछ विवरणों को भरना जरूरी है।
3. गैर-सूचीबद्ध शेयरों से निवेश से जुड़ी जानकारियों को आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में साझा करना होगा।
4. आवास के सही-सही निर्धारण के लिए भारत में बिताए गए दिनों के बारे में रिटर्न फॉर्म आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में जानकारी देनी होगी।
5. इक्विटी शेयर या इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड की बिक्री से मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) की जानकारी देने के लिए आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में अलग कॉलम दिया गया है।
6. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80जीजीए के तहत साइंटिफिक रिसर्च या रूरल डेवलपमेंट के मद में किए गए डोनेशन की जानकारी देने के लिए रिटर्न फॉर्म आईटीआर-1 एवं आईटीआर-2 में अलग-अलग जगह का प्रावधान किया गया है।
7. डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस अग्रीमेंट (डीटीएए) के तहत इनकम टैक्स छूट के दावे की जानकारी के लिए रिटर्न फॉर्म आईटीआर-2 एवं आईटीआर-3 में अलग कॉलम दिया गया है।