Saturday, June 9, 2018

आरबीआई ने रीपो रेट में की वृद्धि, इन 5 बातों का रखें ध्यान


आरबीआई की छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने रीपो रेट या लघु-अवधि की ब्याज दर 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दी है। पिछले साढ़े चार वर्ष में केंद्रीय बैंक द्वारा की गई यह पहली वृद्धि है। रीपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई कमर्शल बैंक को ऋण देता है। यहां आज की इस मौद्रिक नीति समीक्षा (MPR) के बाद आम आदमी के लिए कुछ मुख्य ध्यान रखने योग्य बातें बताई जा रही हैं। 
क्या आपको अभी भी डेट फंड में निवेश करना चाहिएॽ
केंद्रीय बैंक का मुख्य दरों में वृद्धि करना एक सोचा-समझा कदम था। यह डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए एक बुरी खबर है, विशेषकर लॉन्ग टर्म निवेशक के लिए। लॉन्ग टर्म लोन योजनाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं और ब्याज दरों के बढ़ने पर सर्वाधिक अस्थिर होती हैं। औसत प्रतिलाभ पाने के लिए शॉर्ट मच्योरिटी टर्म की सुरक्षा अपनाना बुद्धिमानीपूर्ण कदम होगा, जिसमें लॉन्ग टर्म की अस्थिरता नहीं है। ब्याज दर का बॉन्ड रिटर्न के साथ व्युत्क्रमानुपातिक संबंध होता है। म्युचुअल फंड श्रेणी में आप ईक्विटी म्यूचुअल फंड पर भी ध्यान दे सकते हैं। 1 लाख से अधिक के रिटर्न पर एक टैक्स लागू होने के बावजूद यह एक आकर्षक दीर्घ-अवधि बचत विकल्प प्रदान करता है, इक्विटी सर्वाधिक आकर्षक विकल्प बना रहता है। 
लोन
ज्यादातर प्रमुख बैंकों ने ऋण दरों (MCLR) में पहले ही वृद्धि कर दी है। आज की रीपो रेट वृद्धि के साथ होम लोन की दरें अधिक महंगी होने की संभावना है। किसी वर्तमान कर्जदार को अपनी ईएमआई राशि में तुरंत कोई परिवर्तन नहीं दिखेगा, लेकिन ऊंची ब्याज दर से लंबे समय में चुकाया जाने वाला ब्याज खर्च अंतत: बढ़ जाएगा। आप प्री-पेमेंट का विकल्प चुन सकते हैं जिससे आपका समग्र ब्याज खर्च कम होगा खासतौर पर वे लोग जिनकी ऋण अवधि अभी शुरू ही हुई है। यदि आपका लोन समाप्त होने वाला है तो समझदारी होगी कि कोई कदम न उठाया जाए और लोन की अवधि समाप्त होने तक इसे बनाए रखा जाए ताकि कोई उपयोगी कर कटौती हासिल की जा सके। आप किसी तिमाही में इंतजार करो, नजर रखो (वेट ऐंड वॉच) की नीति भी अपना सकते हैं और आपके ऋण पर दर बढ़ने का असर समझने के लिए ज्यादा समय ले सकते हैं। यदि कोई महत्वपूर्ण असर पड़ता है तो आप सबसे अच्छी शर्तों वाला प्रस्ताव लेने के लिए दरों की तुलना करने के बाद दूसरे बैंकों में ऋण हस्तांतरित करने की संभावनाएं तलाश सकते हैं। 
छोटी बचतें
अब जब दरें बढ़ गई हैं, आप सरकारी योजनाओं जैसे PPF, सुकन्या समृद्धि, वरिष्ठ नागरिक योजनाएं आदि पर ध्यान दे सकते हैं। ये सरकार द्वारा समर्थित योजनाएं हैं और आपको 80C के अंतर्गत कर बचाने की अनुमति देती हैं, और एक टैक्स-प्रभावी तरीके से रिटर्न पैदा करती हैं, चूंकि आपके रिटर्न पर पूरी तरह से कर लागू नहीं किया गया है। गिरती हुई ब्याज दरों ने इन योजनाओं को अनाकर्षक बना दिया है, लेकिन दरों में वृद्धि के बाद उन पर ध्यान दिया जा सकता है।

सावधि जमा
अनेक प्रतिष्ठित बैंकों ने हाल ही में चुनिंदा अवधियों के लिए सावधि जमा की ब्याज दरों में संशोधन किया है। बढ़ी हुई ब्याज दरों का अर्थ सावधि जमाओं पर हाई रिटर्न है। यदि आप छोटे निवेशक हैं, तो अपनी पुरानी एफडी को तोड़ें नहीं और नई में निवेश करें। हालांकि, यदि आपकी प्राप्तियां बड़ी हैं, तो इनका पुनर्निवेश समझदारी होगी। 
निम्न-दरों वाले बॉन्ड और जमाओं से बाहर निकलें
निम्न-दरों वाले बॉन्ड या जमा प्रदान करने वाला कॉर्पोरेट ब्याज दरों के बढ़ने की स्थिति में अपने ऋणों को संभाल पाने में कठिनाई अनुभव करेगा। यह भुगतान नहीं कर सकेगा इसलिए ऐसे निवेशों से जल्द से जल्द बाहर निकलना समझदारी होगी। सर्वोच्च रेटिंग -AAA, AA, A, A+ आदि वाली सिक्यॉरिटी सर्वाधिक सुरक्षित होंगी, जबकि निम्न रेटिंग– B, C, D आदि वाली बॉन्ड कम सुरक्षित होंगे।