इनकम टैक्स अपीलीय प्राधिकरण की मुंबई बेंच ने करदाताओं के उस अधिकार को बरकरार रखा है, जिसके तहत वह अपनी किसी भी हाउस प्रॉपर्टी को अपना निजी आवास बता सकता है।
ट्राइब्यूनल ने अपने फैसले में कहा है कि टैक्सपेयर का अधिकार है कि वह अपनी किसी
प्रॉपर्टी को सेल्फ ऑक्युपाइड घोषित करे। इस पर उसे कोई भी टैक्स नहीं देना होगा।
यही नहीं उस पर मिलने वाला किराया भी टैक्स के दायरे से बाहर होगा।
इसे इस तरह भी समझ सकते हैं- यदि कोई
टैक्सपेयर अपने इनकम टैक्स रिटर्न में अपनी किसी हाउस प्रॉपर्टी को निजी आवास
घोषित करता है और वास्तविक टैक्स असेसमेंट के दौरान उसे बदल देता है तो यह उसका
अधिकार होगा। भले ही बाद में शामिल की गई प्रॉपर्टी अधिक पॉश इलाके में ही क्यों न
हो। इससे टैक्सपेयर को इनकम टैक्स में जाने वाली राशि को कुछ कम करने में मदद मिल
सकेगी।
आईटी ऐक्ट के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति के नाम पर एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी हैं तो वह किसी भी एक आवास को सेल्फ ऑक्युपाइड यानी निजी आवास बता सकता है और उसकी कोई सालाना वैल्यू नहीं मानी जाएगी। सालाना वैल्यू का अर्थ इस बात से है कि उस पर अनुमानित रेंट की गणना नहीं की जाएगी और उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
निजी आवास घोषित की गई प्रॉपर्टी से अलग संपत्तियों को यदि टैक्सपेयर ने किराये पर नहीं दिया होगा, तब भी उस पर अनुमानित रेंट की गणना होगी और टैक्स लागू होगा। हालांकि ऐसी संपत्तियों पर दिया जाने वाला म्युनिसिपल टैक्स घटा दिया जाएगा। इसके अलावा इस पर 30 फीसदी का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी लागू होगा और बाकी बची राशि पर टैक्स चुकाना होगा।
आईटी ऐक्ट के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति के नाम पर एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी हैं तो वह किसी भी एक आवास को सेल्फ ऑक्युपाइड यानी निजी आवास बता सकता है और उसकी कोई सालाना वैल्यू नहीं मानी जाएगी। सालाना वैल्यू का अर्थ इस बात से है कि उस पर अनुमानित रेंट की गणना नहीं की जाएगी और उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
निजी आवास घोषित की गई प्रॉपर्टी से अलग संपत्तियों को यदि टैक्सपेयर ने किराये पर नहीं दिया होगा, तब भी उस पर अनुमानित रेंट की गणना होगी और टैक्स लागू होगा। हालांकि ऐसी संपत्तियों पर दिया जाने वाला म्युनिसिपल टैक्स घटा दिया जाएगा। इसके अलावा इस पर 30 फीसदी का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी लागू होगा और बाकी बची राशि पर टैक्स चुकाना होगा।