वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने की शुरुआत हो
गई है। इस बार आयकर विभाग ने कर चोरी रोकने के लिए रिटर्न फॉर्म के साथ टीडीएस
प्रमाणपत्र यानी फॉर्म 16 में भी
बदलाव किए हैं। ऐसे में अगर आप रिटर्न भरने की तैयारी कर रहे हैं तो सभी ब्योरा
सही से भरें। गलत जानकारी देने पर आप परेशानी में पड़ सकते हैं। आयकर कानून की धारा
270ए के तहत गलत जानकारी देकर कर चोरी
करने वाले करदाताओं से 200% तक
जुर्माना वसूल किया जा सकता है। आयकर विभाग एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) से
फॉर्म में भरे आंकड़ों का मिलाता है। इसलिए गलत आंकड़े देकर बचना संभव नहीं है।
क्या है एआईआर?
वित्तीय संस्थानों को करोबारी साल के दौरान हुए लेन-देन को एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) में भरना होता है। एआईआर भरने की जिम्मेदारी उन संस्थाओं की होती है, जिनके जरिए वित्तीय लेन-देन किया जाता हैं। ये संस्थाएं वित्तीय लेन-देन करने वाले व्यक्ति के पैन नंबर, पिन कोड सहित पूरी जानकारी आयकर विभाग को भेजते हैं। इसी आधार पर विभाग रिटर्न में दी गई सूचनओं को मिलान करता है और कर चोरी पकड़ता है।
वित्तीय संस्थानों को करोबारी साल के दौरान हुए लेन-देन को एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) में भरना होता है। एआईआर भरने की जिम्मेदारी उन संस्थाओं की होती है, जिनके जरिए वित्तीय लेन-देन किया जाता हैं। ये संस्थाएं वित्तीय लेन-देन करने वाले व्यक्ति के पैन नंबर, पिन कोड सहित पूरी जानकारी आयकर विभाग को भेजते हैं। इसी आधार पर विभाग रिटर्न में दी गई सूचनओं को मिलान करता है और कर चोरी पकड़ता है।
गलती करने से इस तरह बचें
आयकर रिटर्न भरने में गड़बड़ी इसलिए होती है क्योंकि फॉर्म भरते समय सभी जरूरी कागजात आपके पास नहीं होते हैं। ऐसे में गलती होने की संभावना अधिक होती है। इससे बचने के लिए सभी तरह के आय का ब्योरा, बचत खाते, रेंटल आदि से हुई आय का गणना पहले कर लें। इससे जुड़े दस्तावेजों को इक्ट्ठा कर लें और अपनी कर देनदारी के आकलन कर फॉर्म का चुनाव करें। कर गणना में परेशानी होने पर कर विशेषज्ञों की मदद जरूर लें।
आयकर रिटर्न भरने में गड़बड़ी इसलिए होती है क्योंकि फॉर्म भरते समय सभी जरूरी कागजात आपके पास नहीं होते हैं। ऐसे में गलती होने की संभावना अधिक होती है। इससे बचने के लिए सभी तरह के आय का ब्योरा, बचत खाते, रेंटल आदि से हुई आय का गणना पहले कर लें। इससे जुड़े दस्तावेजों को इक्ट्ठा कर लें और अपनी कर देनदारी के आकलन कर फॉर्म का चुनाव करें। कर गणना में परेशानी होने पर कर विशेषज्ञों की मदद जरूर लें।
1 अगर आपके
बचत खाते में 10
लाख रुपए या अधिक जमा है, तो आपका बैंक इसकी जानकारी आयकर विभाग को देगा।
2 म्यूचुअल
फंड में दो लाख रुपए या अधिक निवेश है तो फंड हाउस को इसकी जानकारी विभाग को
मुहैया करना अनिवार्य है।
3 अगर
क्रेडिट कार्ड के बिल के तौर पर एक साल के दौरान दो लाख रुपए से अधिक चुकाया तो
क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी इसकी जानकारी विभाग को देगा।
4 अगर आपने
तीस लाख रुपए या इससे अधिक कीमत की संपत्ति खरीदी या बेची है तो रजिस्ट्रार इसकी
सूचना आयकर विभाग को देगा।