कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
और सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) दो प्रकार की
रिटायरमेंट सेविंग स्कीम हैं। 20 से अधिक कर्मचारियों वाले
संगठन में काम करने वाले व्यक्ति की सैलरी से ईपीएफ का योगदान जरूरी है। दूसरी ओर
पीपीएफ इनकम टैक्स बेनिफिट के साथ एक ऑप्शनल निवेश स्कीम है। ईपीएफ को रिटायरमेंट
फंड बॉडी ईपीएफओ की तरफ से पेश किया जाता है, वहीं पीपीएफ
को बैंकों और डाकघरों की तरफ से पेश किया जाता है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (संशोधन)
स्कीम, 2016 को नेशनल सेविंग ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से 1968 में स्मॉल सेविंग के लिए शुरू किया गया था।
EPF और PPF से जुड़ी 5 जरूरी बातें:
1. ईपीएफ सैलरी
पाने वाले लोगों के लिए होता है। दूसरी तरफ पीपीएफ अकाउंट कोई भी भारतीय निवासी
खोल सकता है, जिसमें सैलरी वाले और नॉन सैलरी वाले दोनों
शामिल हैं। पीपीएफ को हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) नहीं खोल
सकते हैं।
2. ईपीफ में एक
व्यक्ति की सैलरी का 12 फीसद मासिक योगदान फंड में जाता है
और उतना ही नियोक्ता की तरफ से भी योगदान होता है। नियोक्ता के हिस्से से 8.33
फीसद कर्मचारी पेंशन स्कीम में निवेश होता है और बाकि अमाउंट ईपीएफ
फंड में जाता है। पीपीएफ में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1,50,000
प्रति वर्ष में जमा किया जा सकता है।
3. ईपीएफओ
वर्तमान में 8.65 फीसद ब्याज दर देता है। दूसरी ओर मौजूदा
तिमाही के लिए पीपीएफ पर ब्याज दर 8 फीसद तय की गई है।
4. नौकरी छोड़ने के
दौरान ईपीएफ अकाउंट बंद कर सकते हैं। वहीं रिटायरमेंट तक कंपनियों को बदलते समय ट्रांसफर
भी किया जा सकता है। दूसरी ओर पीपीएफ अकाउंट 15 साल की अवधि
में मैच्योर होता है। हालांकि इसे 5 वर्ष तक आगे बढ़ाया जा
सकता है।
5. ईपीएफ अकाउंट से
कुछ कंडिशन में बीच में पैसा निकालने की अनुमति है। पीपीएफ अकाउंट से भी बीच में
पैसा निकाला जा सकता है। पीपीएफ अकाउंट के शुरू होने के 7 वर्ष
के बाद पैसा निकाला जा सकता है।